जल संसाधन

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जल 

हम जानते हैं कि धरातल जल से ढका हुआ है परंतु इसमें से प्रयोग में लाने योग्य लवणीय जल का अनुपात बहुत कम है और लवणीय जल हमें सतही अपवाह और फॉर्म जल स्रोत से प्राप्त होता है जिसका लगातार नवीकरण और पुनर्भरण जलीय चक्र द्वारा होता रहता है सारा जल जलीय चक्र में गतिशील रहता है जिससे जल नवीकरण सुनिश्चित होता है

जल दुर्लभता और जल संरक्षण एवं प्रबंधन की आवश्यकता 

वर्षा और वार्षिक और मौसमी परिवर्तन के कारण जल संसाधनों की उपलब्धता में समय और स्थान के अनुसार विभिन्न ता है परंतु अधिकतर जल की कमी इसके अति शोषण अत्यधिक प्रयोग और समाज के विभिन्न वर्गों में जल के असमान वितरण के कारण होती है

Water Scarcity
जल दुर्लभता

जल दुर्लभता अत्याधिक और बढ़ती जनसंख्या और इसके परिणाम स्वरूप चल की बढ़ती मांग और इस के असमान वितरण का परिणाम हो सकती है जल अधिक जनसंख्या के लिए घरेलू उपयोग में ही नहीं बल्कि अधिक अनाज उगाने के लिए भी चाहिए अध्य अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए जल संसाधनों का अति शोषण करके ही संचित क्षेत्र बढ़ाया जा सकता है और उसके ऋतु में भी खेती की जा सकती है

स्वतंत्रता के बाद भारत में तेजी से और क्योंकि करण और शहरीकरण हुआ है और विकास के अवसर प्राप्त हुए आजकल हर जगह बहुराष्ट्रीय कंपनियां बड़े औद्योगिक घरानों के रूप में फैली हुई हैं उद्योग की बढ़ती हुई संख्या के कारण आ लवणीय जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है

वर्तमान समय में भारत में कुल विद्युत का लगभग 22 प्रतिशत भाग जल विद्युत से प्राप्त होता है

ऐसी स्थिति संभव है जहां पर जल अधिक मात्रा में है परंतु फिर भी जल की कमी है इसका मुख्य कारण हो सकता है घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट ओ रसायनों कीटनाशकों और कृषि में प्रयुक्त उर्वरक द्वारा जल का प्रदूषण जो मानव उपयोग के लिए खतरनाक है

समय की मांग है कि हम अपने जल संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन करें स्वयं को स्वस्थ संबंधी खतरों से बचाएं खाद्यान्न सुरक्षा अपनी आजीविका और उत्पादन क्रियाओं की निरंतरता को सुनिश्चित करें और हमें प्राकृतिक पारितंत्र को निम्नीकृत होने से बचाएं

बहुउद्देशीय नदी परियोजनाएं और समन्वित जल संसाधन

हम जल का संरक्षण और प्रबंधन किस प्रकार कर सकते हैं ?

प्राचीन काल में जल संरक्षण के लिए सिंचाई के लिए पत्थरों और मलबे से बांध जलाशय तालाब नहरो का निर्माण किया जाता था

बांध निर्माण द्वारा जल संरक्षण

Sardar Sarovar Dam has been built over the Narmada River in Gujarat. This is one of the largest water resource projects of India covering four states—Maharashtra, Madhya Pradesh, Gujarat and Rajasthan. The Sardar Sarovar project would meet the requirement of water in drought-prone and desert areas of Gujarat (9,490 villages and 173 towns) and Rajasthan (124 villages). 

Do you know that the Krishna-Godavari dispute is due to the objections raised by Karnataka and Andhra Pradesh governments? It is regarding the diversion of more water at Koyna by the Maharashtra government for a multipurpose project. This would reduce downstream flow in their states with adverse consequences for agriculture and industry.

India: Major Rivers and Dams

परंपरागत पांच नदियों और वर्षा जल को इकट्ठा करके बाद में उसे खेती की सिंचाई के लिए उपलब्ध करा दें थे आजकल बांध सिर्फ सिंचाई के लिए नहीं अपितु इसका उद्देश्य विद्युत उत्पादन घरेलू और औद्योगिक उपयोग जलापूर्ति बाढ़ नियंत्रण मनोरंजन और मछली पालन में भी होता है इसलिए बांध को बहुउद्देशीय परियोजना कहा जाता है

उदाहरण के तौर पर सतलुज ब्यास बेसिन में भाखड़ा नांगल परियोजना जल विद्युत उत्पादन और सिंचाई दोनों के काम में आता है इसी प्रकार महानदी बेसिन में हीराकुंड परियोजना जल संरक्षण और बाढ़ नियंत्रण का समन्वय है

बहुउद्देशीय परियोजनाएं और बांध नए पर्यावरणीय आंदोलनों जैसे नर्मदा बचाओ आंदोलन और टिहरी बांध आंदोलन के कारण भी बन गए हैं इन परियोजनाओं का विरोध मुख्य रूप से स्थानीय समुदाय के लोगों द्वारा किया गया है आमतौर पर स्थानीय लोगों को उनकी जमीन आजीविका और संसाधनों से लगाओ एवं नियंत्रण देश की बेहतरी के लिए कुर्बान करना पड़ता है

सिंचाई ने कई क्षेत्रों में फसल प्रारूप परिवर्तित कर दिया है जहां किसान जल गहन और वाणिज्य फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं इससे मृदा में लावणी करण जैसी गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं

नदी परियोजना पर उल्टी अधिकतर आपत्तियां उनके उद्देश्यों में विफल हो जाने पर हैं यह एक विडंबना है कि जो बांध बाढ़ नियंत्रण के लिए बनाए जाते हैं उनके जलाशयों में तलछट जमा होने से वे बाढ़ आने का कारण बन जाते हैं अत्यधिक वर्षा होने की दशा में तो बड़े बांध भी कई बार बाढ़ नियंत्रण में असफल रहते हैं

वर्षा जल संग्रहण


बहुउद्देशीय परियोजनाओं के असफल होने वहा लाभप्रद होने के चलते हम वर्षा जल संग्रहण तंत्र विकसित कर सकते हैं जिससे सामाजिक आर्थिक और पारिस्थितिकी सभी प्रकार से लाभ पहुंचे

प्राचीन भारत में उत्कृष्ट जलीय निर्माणों के साथ-साथ जल संग्रहण ढांचे भी पाए जाते थे लोगों को वर्षा पद्धति और मृदा के गुणों के बारे में गहन ज्ञान था उन्होंने स्थानीय पारिस्थितिकी परिस्थितियों और उनकी जल आवश्यकता अनुसार वर्षा जल भोम जल नदी जल और बाढ़ जल संग्रहण के अनेक तरीके विकसित किए

पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों ने कुल अथवा कुल जैसी वाहिकाएं नदी की धारा का रास्ता बदलकर खेतों में सिंचाई के लिए बनाई हैं

पश्चिम भारत विशेष का राजस्थान में पीने का जल एकत्रित करने के लिए छत वर्षा जल संग्रहण का तरीका अपनाया है

 शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्रों में खेतों में वर्षा जल एकत्रित करने के लिए गड्ढे बनाए जाते थे ताकि मृदा को सिंचित किया जा सके और संरक्षित जल को खेती के लिए उपयोग में लाया जा सके राजस्थान के जिले जैसलमेर में खादिन और अन्य क्षेत्रों में जोहड़ इसके उदाहरण है

राजस्थान के अर्ध शुष्क और शुष्क क्षेत्रों में विशेषकर बीकानेर और बाड़मेर में लगभग हर घर में पानी संग्रहण करने के लिए भूमिगत टैंक अथवा टांका हुआ करते हैं इसका आकार बड़े कमरे जितना हो सकता है

टाका

टाटा में वर्षा जल अग्नि वर्षा ऋतु तक संग्रहित किया जा सकता है यह इसे जल की कमी वाली ग्रीष्म ऋतु तक पीने का जल उपलब्ध करवाने वाला जल स्रोत बनता है वर्षा जल अथवा पालर पानी जैसा कि इसे इन क्षेत्रों में पुकारा जाता है प्राकृतिक जल का शुद्धतम रूप समझा जाता है 

इस प्रकार से हम भोम जल को बचा सकते हैं जिसकी निम्नलिखित विधियां हैं

बांस ड्रिप सिंचाई प्रणाली

BAMBOO DRIP IRRIGATION SYSTEM

छत वर्षा जल संग्रहण

Rooftop rainwater
Rooftop rainwater harvesting is the most common practice in Shillong, Meghalaya. It is interesting because Cherapunjee and Mawsynram situated at a distance of 55 km. from Shillong receive the highest rainfall in the world, yet the state capital Shillong faces acute shortage of water. Nearly every household in the city has a rooftop rainwater harvesting structure. Nearly 15-25 per cent of the total water requirement of the household comes from rooftop water harvesting.

Tamil Nadu is the first state in India which has made rooftop rainwater harvesting structure compulsory to all the houses across the state. There are legal provisions to punish the defaulters.

टाका प्रणाली

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