खनिज तथा ऊर्जा संसाधन (Minerals and Energy Resources)

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खनिज तथा ऊर्जा संसाधन (Minerals and Energy Resources)



खनिज हमारे जीवन के अति अनिवार्य भाग है लगभग हर चीज जो हम इस्तेमाल करते हैं एक छोटी सुई से लेकर एक बड़ी इमारत तक यह फिर एक बड़ा जहाज आदि सभी खनिज से बने हैं

Study of Minerals by Geographers and Geologists (भूगोलवेत्ताओं द्वारा खनिजों का अध्ययन और भूवैज्ञानिक)

Geographers study minerals as part of the earth’s crust for a better understanding of landforms. The distribution of mineral resources and associated economic activities are of interest to geographers. A geologist, however, is interested in the formation of minerals, their age and physical and chemical composition.
भूगोलवेत्ता खनिजों का अध्ययन किस भाग के रूप में करते हैं? की बेहतर समझ के लिए पृथ्वी की पपड़ी भू-आकृतियाँ खनिज का वितरण संसाधन और संबद्ध आर्थिक गतिविधियाँ भूगोलवेत्ताओं के लिए रुचिकर हैं। एक भूविज्ञानी, हालांकि, के गठन में रुचि रखता है खनिज, उनकी आयु और भौतिक और रासायनिक संरचना।

 

खनिज

खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्व है जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना है प्रकृति में अनेक रूपों में पाए जाते हैं जिसमें कठोर हीरा नरम क्यों ना तक सीमित है

चट्टाने जो के समरूप तत्वों के योगिक हैं कुछ सताने जैसे चूना पत्थर केवल एक ही कमी से बने हैं लेकिन अधिकतर चाचा ने विभिन्न अनुपातों के अन्य खनिजों का योग है एक विशेष जो निश्चित तत्वों का योग है उन तत्वों का निर्माण उस समय के भौतिक व रासायनिक परिस्थितियों का परिणाम है इसके फलस्वरूप खनिजो में विविध रंग कठोरता चमक घनत्व तथा चल पाए जाते हैं

खनिज का वर्गीकरण

खनिज का वर्गीकरण

1.धात्विक खनिज

a. लौह धातु

b. अलौह धातु

c. बहुमूल्य खनिज

2. अधात्विक खनिज

3. ऊर्जा खनिज खनिज की उपलब्धता खनिज कहां पाए जाते है खनिज अयस्क में पाए जाते हैं किसी भी खनिज में अन्य अवयवों या तत्वों के मिश्रण या संचयन हेतु अयस्क शब्द का इस्तेमाल किया जाता है खनन का आर्थिक महत्व तभी है जब इश्क में खनिजों का संचयन पर्याप्त मात्रा में हो खनिज के खनन की सुविधा इसके निर्माण में संरचना पर निर्भर है

Interesting Fact

Rat-Hole Mining. Do you know that most of the minerals in India are nationalised and their extraction is possible only after obtaining due permission from the government? But in most of the tribal areas of the north-east India, minerals are owned by individuals or communities. In Meghalaya, there are large deposits of coal, iron ore, limestone and dolomite etc. Coal mining in Jowai and Cherapunjee is done by family member in the form of a long narrow tunnel, known as ‘Rat hole’ mining. The National Green Tribunal has declared such activities illegal and recommended that these should be stopped forthwith.

 

रोचक तथ्य

रैट-होल खनन। क्या आप जानते हैं कि अधिकांश भारत में खनिजों का राष्ट्रीयकरण किया गया है और उनका निष्कर्षण उसके बाद ही संभव है से उचित अनुमति प्राप्त करना सरकार? लेकिन अधिकांश आदिवासियों में उत्तर-पूर्वी भारत के क्षेत्र, खनिज हैं व्यक्तियों या समुदायों के स्वामित्व में। में मेघालय में कोयले के बड़े भंडार हैं, लौह अयस्क, चूना पत्थर और डोलोमाइट आदि कोयला जोवाई और चेरापूंजी में खनन होता है परिवार के सदस्य द्वारा लंबे समय के रूप में संकरी सुरंग, जिसे 'रैट होल' के नाम से जाना जाता है खुदाई। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ऐसी गतिविधियों को अवैध घोषित किया और सिफारिश की कि ये होना चाहिए तुरंत रुक गया।

 

खनिज प्राय शैल समूह से प्राप्त होते हैं

1. आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिज दरारों जोड़ो विदरो में मिलते हैं

2. अनेक खनिज अवसादी चट्टानों के अनेक खनिज संस्तर या परतो में पाए जाते हैं

3. खनिजों के निर्माण की एक अन्य विधि धरातलीय चट्टानों का अपघटन है

4. पहाड़ियों के आधार पर घाटी तल की रेत में जलोढ़ जमाव के रूप में भी खनिज पाए जाते हैं यह निक्षेप प्लेसर निक्षेप के नाम से जाने जाते हैं

5. महासागरीय जल में भी विशाल मात्रा में खनिज पाए जाते हैं

लौह खनिज

लोखंड धात्विक खनिजों के कुल उत्पादन मूल्य के तीन चौथाई भाग का योगदान करते हैं यह धातु शोधन उद्योगों के विकास को मजबूत आधार प्रदान करते हैं

लौह अयस्क

लोहा अयस्क एक आधारभूत खनिज है तथा औद्योगिक विकास की रीढ़ है भारत में लौह अयस्क के विपुल संसाधन विद्यमान हैं मैग्नेटाइट सर्वोत्तम प्रकार का लौह अयस्क है जिसमें 70% लोहान पाया जाता है हेमेटाइट सर्वाधिक महत्वपूर्ण औद्योगिक लौह अयस्क है जिसका अधिकतम मात्रा में उपभोग हुआ है

लोहा अयस्क

भारत में लौह अयस्क की पेटियां है

उड़ीसा झारखंड पेटी

उड़ीसा में उच्च कोटि का हेमेटाइट किस्म का लौह अयस्क मयूरभंज कदूझर जिलों में बादाम पहाड़ खदानों से निकाला जाता है झारखंड के युग्म जिले में बुआ तथा नोआमुंडी से हेमेटाइटअयस्क

दुर्ग बस्तर चंद्रपुर पेटी

यह पेटी महाराष्ट्र वह छत्तीसगढ़ राज्य के अंतर्गत पाई जाती है छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में बैलाडीला पहाडी श्रृंखलाओ मैं अति उत्तम कोटि का हेमेटाइट पाया जाता है

बल्लारी चित्रदुर्ग चिक्कमंगलुरु तुमकुरु पेटी

कर्नाटक की इस पेटी में लौह अयस्क की बृहत राशि संचित है कर्नाटक में पश्चिम घाट में अवस्थित कुदरेमुख की खाने शत प्रतिशत निर्यात इकाई है

महाराष्ट्र गोवा पेटी

यह पेटी गोवा तथा महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरी जिले में स्थित है यद्यपि यहां का लोहा उत्तम प्रकार का नहीं है तथापि इसका दक्षता से दोहन किया जाता है

मैंगनिज़

मैंगनिज़ मुख्य रूप से इस्पात बनाने में लगभग 10 किग्रा मैंगनिज़ आवश्यकता होती है इसका उपयोग ब्लीचिंग पाउडर नाशक दवाए व पेंट बनाने में किया जाता है भारत में उड़ीसा मैंगनिज़ का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है

मैंगनिज़

अलौह खनिज

भारत में लौह खनिज की संचित राशि व उत्पादन अधिक संतोषजनक नहीं है यद्यपि यह खनिज दिन में तांबा बॉक्साइट सीसा और सोना आते हैं धातु शोधन इंजीनियरिंग व विद्युत उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

अलौह खनिज

तांबा

भारत में तांबे के भंडार व उत्पादन क्रांतिक रूप से न्यून है घातवर्ध्य तनया और ताप सुचालक होने के कारण तांबे का उपयोग मुख्य बिजली तार बनाने इलेक्ट्रॉनिक और रसायन उद्योगों में किया जाता है मध्य प्रदेश की बालघाट खदाने देश का लगभग 52% तांबा उत्पन्न करती है झारखंड का सिंहभूम जिला भी तांबे का मुख्य उत्पादक है राजस्थान की खेतड़ी खदाने तांबे के लिए प्रसिद्ध थी

बॉक्साइट

यद्यपि अनेक अयस्क में एल्युमिनियम पाया जाता है परंतु सबसे अधिक एल्युमिनियम प्ले जैसे दिखने वाले पदार्थ बॉक्साइट से ही प्राप्त किया जाता है एल्युमिनियम एक महत्वपूर्ण धातु है क्योंकि लोहे जैसी शक्ति के साथ-साथ अत्यधिक हल्का एवं सुचालक भी होता है भारत में बॉक्साइट के निक्षेप मुख्यतः अमरकंटक पठार मैकाल पहाड़ी हूं तथा बिलासपुर कटनी के पठारी प्रदेश में पाए जाते है उड़ीसा भारत का सबसे बड़ा बॉक्साइट उत्पादक राज्य है जहां वर्ष 2009 से 10 में देश के 34.97 प्रतिशत बॉक्साइट का उत्पादन हुआ !

बॉक्साइट

अधात्विक खनिज

अभ्रक

अभ्रक एक ऐसा चीज है जो प्लेटो अथवा पत्रण क्रम में पाया जाता है इसका चादरों में पाटन आसानी से हो सकता है अभ्रक पारदर्शी काले हरे लाल पीले अथवा भूरे रंग का हो सकता है इसकी सर्वोच्च परावैद्युत शक्ति ऊर्जा ह्रास का निम्न गुणाक विन वाहन के गुण और उच्च वोल्टेज की प्रतिरोधकता के कारण अभ्रक विद्युत व इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में प्रयुक्त अभ्रक के निक्षेप छोटा नागपुर पठार के उत्तरी पठारी किनारों पर पाए जाते हैं बिहार झारखंड कोडरमा गया हजारीबाग पेटी अग्रणी उत्पादक है

चट्टानी खनिज

चूना पत्थर

चूना पत्थर कैल्शियम कैल्शियम कार्बोनेट तथा मैग्नीशियम कार्बोनेट से बनी चट्टानों में पाया जाता है यह है अधिकांशत अवसादी चट्टानों में पाया जाता है चुना पत्थर सीमेंट उद्योग का एक आधारभूत कच्चा माल होता है

चूना पत्थर

खनिजों का संरक्षण

जिन खनिज संसाधनों के निर्माण पर सांद्रण में लाखों वर्ष लगे हैं हम उनका शीघ्रता से उपभोग कर रहे हैं खनिज निर्माण की भूगर्भीय प्रक्रिया इतनी धीमी है कि उनके वर्तमान उपभोग की दर की Minerals and Energy Resourcesतुलना में उनके पुनर्भरण की दर अपरिमित रूप से थोड़ी है इसलिए खनिज संसाधन सीमित तथा आ नवीकरणीय योग्य है

हमें खनिज संसाधनों को सुनियोजित एवं सतत पोषणीय ढंग से प्रयोग करने के लिए एक तालमेल युक्त प्रयास करना होगा

ऊर्जा संसाधन

ऊर्जा का उत्पादन केंद्र खनिजों जैसे कोयला पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस यूरेनियम तथा विद्युत से किया जाता है ऊर्जा संसाधनों को परंपरागत तथा गैर परंपरागत साधनों में वर्गीकृत किया जाता है

1. परंपरागत ऊर्जा के स्रोत

A) कोयला

भारत में कोयला बहुतायत से पाया जाने वाला जीवाणु ईंधन है यह देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का महत्वपूर्ण भाग प्रदान करता है इसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन तथा उद्योगों और घरेलू जरूरतों के लिए ऊर्जा की आपूर्ति के लिए किया जाता है तथा यह वाणिज्यिक उर्जा जरूरत को पूरा करता है

लिग्नाइट एक निम्न कोटि का भूरा कोयला होता है यह मुलायम होने के साथ अधिक नमी युक्त होता है लिख नाईट के प्रमुख भंडार तमिलनाडु के नैवैली मैं मिलते हैं और विद्युत उत्पादन में प्रयोग किए जाते हैं गहराई में दबे तथा अधिक तापमान से प्रभावित कोयले को बिटुमिनस कोयला कहा जाता है वाणिज्यिक प्रयोग में यह सर्वाधिक लोकप्रिय है

एंथ्रेसाइट सर्वोत्तम गुण वाला कठोर कोयला है

कोयला

भारत में कोयला दो प्रमुख भूगर्भीय युगों के शहर क्रम में पाया जाता है

1 गोंडवाना

2 टरशियारी निक्षेप

B) पेट्रोलियम

भारत में कोयले के पश्चात ऊर्जा का दूसरा प्रमुख साधन पेट्रोलियम या खनिज तेल है यह ताप पर प्रकाश के लिए ईंधन मशीनों को स्नेहक और अनेक विनिर्माण उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करता है भारत में अधिकांश पेट्रोलियम की उपस्थिति टरशियारी युग की सेल संरचनाओं के भ्रंश ट्रैप में पाई जाती है

पेट्रोलियम चट्टानों के बीच भ्रंश ट्रैप में भी पाया जाता है प्राकृतिक गैस हल्की होने के कारण खनिज तेल के ऊपर पाई जाती है भारत में कुल पेट्रोलियम उत्पादन का 63% भाग मुंबई हाई से 18% गुजरात से 16% असम से प्राप्त होता है

C) प्राकृतिक गैस

प्राकृतिक गैस एक महत्वपूर्ण स्वच्छ ऊर्जा संसाधन है जो पेट्रोलियम के साथ अथवा अलग पाई जाती है इसे ऊर्जा के एक साधन के रूप में तथा पेट्रो रसायन उद्योग के एक औद्योगिक कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है

कार्बन डाइऑक्साइड के कम उत्सर्जन के कारण प्राकृतिक गैस को पर्यावरण अनुकूलन माना जाता है इसलिए यह वर्तमान शताब्दी का ईंधन है

कृष्णा गोदावरी नदी बेसिन में प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार खोजे गए हैं पश्चिमी तट के साथ मुंबईहाई और संभाग की खाड़ी में पाए जाते हैं

D) विद्युत

आधुनिक विश्व में विद्युत के अनुप्रयोग इतने ज्यादा विस्तृत है कि इसके प्रति व्यक्ति उपभोग को विकास का सूचकांक माना जाता है विद्युत मुख्यतः दो प्रकार से उत्पन्न की जाती है

1. प्रवाहित जल से जो हाइड्रो टरबाइन चलाकर जल विद्युत उत्पन्न करता है
2. अन्य ईंधन जैसे कोयला पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस को जलाने से टरबाइन चलाकर ताप विद्युत उत्पन्न की जाती है

गैर परंपरागत ऊर्जा के साधन


सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा ज्वारीय ऊर्जा जैविक ऊर्जा तथा अवशिष्ट पदार्थ जनित ऊर्जा को गैर परंपरागत ऊर्जा साधन कहा जाता है

भारत धूप चल तथा जीव भार साधनों में समृद्ध है भारत में नवीकरण योग्य ऊर्जा संसाधनों के विकास हेतु वृहद कार्यक्रम भी बनाए गए हैं

परमाणु तथा आण्विक ऊर्जा परमाणु तथा आण्विक ऊर्जा अणुओं की संरचना को बदलने से प्राप्त की जाती है जब ऐसा परिवर्तन किया जाता है तो ऊर्जा के रूप में काफी ऊर्जा मुक्त होती है और इसका उपयोग विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने में किया जाता है यूरेनियम और कोरिया में झारखंड और राजस्थान की अरावली पर्वत श्रंखला में पाए जाते हैं का प्रयोग परमाणु तथा आण्विक ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है

सौर ऊर्जा

भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है यहां सौर ऊर्जा के दोहन की असीम संभावनाएं हैं फोटोवोल्टिक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है कुछ बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र देश के विभिन्न भागों में स्थापित किए जा रहे हैं

पवन ऊर्जा

भारत में पवन ऊर्जा के उत्पादन की महान संभावनाएं हैं भारत में पवन ऊर्जा फार्म के विशालतम पेटी तमिलनाडु बे नागरकोइल से मदुरई तक अवस्थित है इसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश कर्नाटक गुजरात केरल महाराष्ट्र तथा लक्ष्यदीप में भी महत्वपूर्ण पवन ऊर्जा फार्म हैं

बायोगैस

इसमें जैविक पदार्थ के अपघटन से गैस उत्पन्न की जाती है जिसकी तापीय क्षमता मिट्टी के तेल उपयोग व चारकोल की अपेक्षा अधिक होती है बायोगैस संयंत्र नगर पालिका सहकारिता तथा निजी स्तर पर लगाए जाते हैं पशुओं का गोबर प्रयोग करने वाले संयंत्र ग्रामीण भारत में गोबर गैस प्लांट के नाम से जाने जाते हैं

ज्वारीय ऊर्जा

महासागरीय तरंगों का प्रयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकता है साँकरी खाड़ी के आसपास बाढ़ द्वारा बना कर बांध बनाए जाते हैं उच्च ज्वार में इस साक्री खाड़ी नुमा प्रवेश द्वार से पानी भीतर जाता है और द्वार बंद होने पर बांध में ही रह जाता है बाढ़ द्वार के बाहर ज्वार उतरने पर बांध के पानी को इसी रास्ते पाइप द्वारा समुद्र की तरफ बढ़ाया जाता है जो इसे ऊर्जा उत्पादक टरबाइन की ओर ले जाता है

भूतापीय ऊर्जा

पृथ्वी के आंतरिक भाग से ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भूतापीय ऊर्जा कहा जाता है भूतापीय ऊर्जा इसलिए अस्तित्व में होती है क्योंकि बढ़ती गहराई के साथ पृथ्वी प्रगामी ढंग से गर्म होती जाती है

भारत में सैकड़ों गर्म पानी के चश्मे हैं जिनका विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है भूतापीय ऊर्जा के दोहन के लिए भारत में दो प्रायोगिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं एक हिमाचल प्रदेश में मणिकरण के निकट पर्वतीय घाटी में स्थित है तथा दूसरी लद्दाख में पूगा घाटी स्थित हैभूतापीय ऊर्जा
 
पृथ्वी के आंतरिक भाग से ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भूतापीय ऊर्जा कहा जाता है भूतापीय ऊर्जा इसलिए अस्तित्व में होती है क्योंकि बढ़ती गहराई के साथ पृथ्वी प्रगामी ढंग से गर्म होती जाती है
 
भारत में सैकड़ों गर्म पानी के चश्मे हैं जिनका विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है भूतापीय ऊर्जा के दोहन के लिए भारत में दो प्रायोगिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं एक हिमाचल प्रदेश में मणिकरण के निकट पर्वतीय घाटी में स्थित है तथा दूसरी लद्दाख में पूगा घाटी स्थित है

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